kajli teej 2024: कजली तीज को कजरी तीज या सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है,इस साल कजरी तीज को 21 अगस्त बुधवार को है,हिन्दू पंचाग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह की तीज को कजली तीज मनाई जाती है,कजली तीज का पर्व रक्षाबंधन के तीन दिन बाद ओर वही जन्माष्टमी के पाँच दिन पहले मनाया जाता है|आइए जानते है कजली तीज का इस साल का शुभ मुहूर्त ओर महत्व
कजली तीज का व्रत कब रखे आज या कल
इस साल कजली पूजा के लिए तृतीया तिथि का प्रारंभ बुधवार 21 अगस्त 2024 को शाम 5:06 मिनट से होगा ओर तृतीया तिथि का समापन 22 अगस्त 2024 गुरुवार को दोपहर 1:46 मिनट पर हो जाएगा, ओर कजली तीज की पूजा मे महिलाओ द्वारा पूरे दिन निराहार रह कर शाम को पूजा कर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलने का विधान होता है उस हिसाब से कजली तीज का व्रत बुधवार को श्रेष्ठ माना जाएगा,हालांकि आप चाहे तो गुरुवार को भी इसका व्रत रख सकते है लेकिन फिर आपको सुबह पूजा करनी चाहिए,क्योंकि गुरुवार 22 अगस्त 2024 को दोपहर 2 बजे बाद तृतीया तिथि का समापन हो जाएगा
कजली तीज क्यों मनाई जाती है
कजली तीज को संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है, जो स्त्री ओर पुरुष संतान प्राप्ति की कामना रखते है उन्हे उस व्रत को अवश्य विधि विधान के साथ रखना चाहिए, मान्यता है की इस दिन माँ पार्वती पहली बार भगवान शिव से मिली थी, इस कारण इस दिन महिलाये पूरा साज श्रंगार कर भगवान शिव ओर माता पार्वती की पूजा करके सुखी वैवाहिक जीवन ओर संतान प्राप्ति की कामना करती है|
कजली तीज के दिन क्या करे ओर क्या न करे
- कजली तीज के दिन व्रत रखने वाली महिलाओ को सफेद ओर काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए
- इस दिन महिलाओ को अपने पति से लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए
- इस दिन किसी का भी अपमान ना करे ओर ना किसी से अपशब्द कहे
- इस दिन हरे लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए
- इस दिन महिलाओ को हाथों मे मेहंदी जरूर लगानी चाहिए ओर पूरा सोलह श्रंगार करना चाहिए
- इस दिन माँ गोरी ओर भगवान शिव की पूजा अवश्य करे
कजली तीज व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में ब्राह्मण परिवार रहता था। ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का व्रत किया। व्रत के दौरान उसने अपने पति से सत्तू लाने को कहा। सत्तू के लिए ब्राह्मण के पास धन नहीं था। तो ऐसे में उसने चोरी करने का फैसला लिया। इसके बाद वह रात के समय दुकान में सत्तू लेने के लिए घुस गया। उसी दौरान दुकान के मालिक की नींद खुल गई और उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया और उसकी पत्नी सत्तू का इंतजार कर रही थी। वहीं, चांद निकल आया था।
जब दुकान के मालिक ने उसकी तलाशी ली, तो उसके पास से सत्तू मिला। ऐसे में ब्राह्मण ने सारी बात बता दी। उसकी बात को सुनकर मालिक को उसपर बेहद तरस आया और कहा कि आज से वो उसकी पत्नी को अपनी बहन के रूप में मानेगा। अंत में मालिक ने ब्राह्मण को मेहंदी, सत्तू, गहने और धन देकर विदा किया। इसके पश्चात सभी ने कजली माता की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की।